बव करण हिंदू पंचांग में ग्यारह करणों में से एक है। बव करण को शुभ माना जाता है, और इस करण में किए गए कार्यों में सफलता की संभावना रहती है। करण का संबंध चंद्रमा और सूर्य की स्थिति से होता है, और यह आधे तिथि के बराबर समय के लिए होता है। बव करण को शुभ कार्यों के लिए अच्छा माना गया है, इसलिए इसे धार्मिक या मांगलिक कार्यों के लिए उपयुक्त समझा जाता है।
बव करण का महत्व और प्रभाव
शुभ कार्यों के लिए उपयुक्त: बव करण में नए कार्यों की शुरुआत करना, यात्रा, व्यापार, विवाह, गृह प्रवेश, और अन्य शुभ कार्य करना लाभकारी माना जाता है।
उत्साह और स्थायित्व: यह करण स्थायित्व और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है, जो किए गए कार्यों में उत्साह और सफलता की संभावनाएं बढ़ाता है।
ज्योतिषीय दृष्टिकोण
बव करण का समय सामान्यत: सकारात्मक और शुभ परिणाम देने वाला माना जाता है। इसे "बली" या "शक्ति प्रदान करने वाला" करण माना जाता है, जो किसी भी प्रकार की रुकावटों को दूर करने में सहायक होता है।
नोट: पंचांग में बव करण का उपयोग: पंचांग में शुभ कार्यों के समय निर्धारण में बव करण के समय का ध्यान दिया जाता है। हालांकि, किसी भी कार्य के लिए सिर्फ करण ही नहीं, बल्कि तिथि, नक्षत्र, योग और वार का भी मिलान करना आवश्यक होता है, जिससे कार्य में पूर्ण सफलता और शुभता मिल सके।
अगर आप बव करण के समय विशेष कार्य की योजना बना रहे हैं, तो पूरी कुंडली या मुहूर्त का विचार करना सर्वोत्तम होगा।