डिफ़ॉल्ट
गर्म
प्रकृति

आशा दशमी व्रत कथा: पौराणिक महत्व और व्रत विधि

आशा दशमी का व्रत भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को समर्पित है। यह व्रत ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को किया जाता है। यह व्रत व्यक्ति की इच्छाओं की पूर्ति और समृद्धि के लिए विशेष रूप से फलदायी माना गया है। इस व्रत को करने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

आशा दशमी व्रत कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, प्राचीन समय में एक गांव में एक भक्त दंपत्ति रहते थे। उनका नाम सत्यवान और सावित्री था। वे दोनों अत्यंत धर्मपरायण और सत्यवादी थे। उनकी एक ही इच्छा थी कि उन्हें संतान सुख प्राप्त हो। लेकिन वर्षों तक पूजा और तपस्या करने के बावजूद उन्हें संतान की प्राप्ति नहीं हुई। एक दिन, वे भगवान विष्णु के एक परम भक्त ऋषि के पास गए और अपनी समस्या बताई। ऋषि ने उन्हें आशा दशमी व्रत करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा, "ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का व्रत और पूजन करें। यह व्रत अत्यंत शुभ है और इसे करने से आपकी सभी इच्छाएं पूर्ण होंगी।" सत्यवान और सावित्री ने पूरे विधि-विधान से आशा दशमी व्रत किया। व्रत के प्रभाव से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी प्रसन्न हुए और उन्हें दर्शन देकर आशीर्वाद दिया। उनके आशीर्वाद से दंपत्ति को सुंदर और तेजस्वी संतान की प्राप्ति हुई। तब से यह व्रत इच्छाओं की पूर्ति के लिए किया जाने लगा। यह माना जाता है कि आशा दशमी का व्रत करने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

व्रत की विधि

  1. स्नान और शुद्धि: प्रातः काल स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. व्रत का संकल्प: भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के समक्ष व्रत का संकल्प लें।
  3. पूजा की तैयारी: पूजा स्थल को साफ करें और भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  4. पूजन सामग्री: दीपक, अगरबत्ती, चंदन, फूल, नैवेद्य (फल, मिठाई), पंचामृत और तुलसी पत्र अर्पित करें।
  5. मंत्र जाप: "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" और "ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः" मंत्र का जाप करें।
  6. कथा श्रवण: आशा दशमी व्रत कथा को सुनें या पढ़ें।
  7. आरती और प्रसाद: भगवान की आरती करें और प्रसाद का वितरण करें।
  8. व्रत का पारण: व्रत का पारण अगले दिन ब्राह्मणों को भोजन कराकर और दान देकर करें।

व्रत का महत्व

आशा दशमी व्रत को रखने से व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति आती है। यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो अपनी इच्छाओं की पूर्ति और समस्याओं से मुक्ति चाहते हैं। व्रत का पालन करने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।
"श्री हरि और माता लक्ष्मी की जय!"
डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।

लोकप्रिय टैग

दुर्गा माता भजन और गीत | माँ शक्ति संग्रह भजन और भक्ति गीत संग्रह कृष्ण भजन और गीत | राधा-कृष्ण भक्ति संगीत संग्रह हनुमान भजन और गीत | बजरंगबली संग्रह राम भजन और गीत | प्रभु श्रीराम की स्तुति संग्रह