शिव स्तुति | ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने

shivji
"ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने" एक भक्तिमय भजन है जो भगवान शिव की स्तुति में गाया जाता है। इस भजन में भगवान शिव की महिमा का वर्णन किया गया है और उनके डमरू बजाने की लीलाओं का गुणगान किया गया है। इस भजन का श्रद्धा और भक्ति से गायन करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और उनके भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए इस भजन का विशेष महत्व है। निम्नलिखित में इस भजन के बोल दिए गए हैं:

मैं हिमाचल की बेटी, मेरा भोला बसे काशी | सारी उमर तेरी सेवा करुँगी, बनकर तेरी दासी || शम्भू .. शिव शिव शिव शिव शम्भू, शिव शिव शिव शिव शम्भू || सबसे सुखदायी भजन सुनने से मिलती शांति ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने, सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया, बम बम || सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया, सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया | बम बम.. ऐंसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने, सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया || डमरू को सुनकर जी कान्हा जी आए, कान्हा जी आए संग राधा भी आए, डमरू को सुनकर जी कान्हा जी आए, कान्हा जी आए संग राधा भी आए | वहाँ सखियों का मन भी मगन हो गया, सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया, ऐंसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने, सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया || महादेवा भजन हंसराज रघुवंशी डमरू को सुनकर जी गणपति चले, गणपति चले संग कार्तिक चले, डमरू को सुनकर जी गणपति चले, गणपति चले संग कार्तिक चले | वहाँ अम्बे का मन भी मगन हो गया, सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया, ऐंसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने, सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया || डमरू को सुनकर जी रामा जी आए, रामा जी आए संग लक्ष्मण जी आए, मैया सिता का मन भी मगन हो गया, सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया, बम बम || ऐंसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने, सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया || डमरू को सुनकर के ब्रम्हा चले, यहाँ ब्रम्हा चले वहाँ विष्णु चले, डमरू को सुनकर के ब्रम्हा चले, यहाँ ब्रम्हा चले वहाँ विष्णु चले | मैया लक्ष्मी का मन भी मगन हो गया, सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया, ऐंसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने, सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया || डमरू को सुनकर जी गंगा चले, गंगा चले वहाँ यमुना चले, डमरू को सुनकर जी गंगा चले, गंगा चले वहाँ यमुना चले, वहाँ सरयू का मन भी मगन हो गया, सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया, ऐंसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने, सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया || डमरू को सुनकर जी सूरज चले, सूरज चले वहाँ चंदा चले, डमरू को सुनकर जी सूरज चले, सूरज चले वहाँ चंदा चले | सारे तारों का मन भी मगन हो गया, सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया, ऐंसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने, सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया || हंसराज रघुवंशी का ये मंत्रमुग्ध करने वाला गीत ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने, सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया, बम बम|| सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया, सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया | बम बम|| ऐंसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने, सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया ||

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