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श्री भगवद गीता आरती

bhagwat-geeta
जय भगवद गीते,जय भगवद गीते । हरि-हिय-कमल-विहारिणि, सुन्दर सुपुनीते ॥ कर्म-सुमर्म-प्रकाशिनि, कामासक्तिहरा । तत्त्वज्ञान-विकाशिनि,विद्या ब्रह्म परा ॥ जय भगवद गीते…॥ निश्चल-भक्ति-विधायिनि, निर्मल मलहारी । शरण-सहस्य-प्रदायिनि,सब विधि सुखकारी ॥ जय भगवद गीते…॥ राग-द्वेष-विदारिणि,कारिणि मोद सदा । भव-भय-हारिणि,तारिणि परमानन्दप्रदा ॥ जय भगवद गीते…॥ आसुर-भाव-विनाशिनि, नाशिनि तम रजनी । दैवी सद् गुणदायिनि,हरि-रसिका सजनी ॥ जय भगवद गीते…॥ समता, त्याग सिखावनि, हरि-मुख की बानी । सकल शास्त्र की स्वामिनी, श्रुतियों की रानी ॥ जय भगवद गीते…॥ दया-सुधा बरसावनि,मातु! कृपा कीजै । हरिपद-प्रेम दान कर, अपनो कर लीजै ॥ जय भगवद गीते. ..॥ जय भगवद् गीते, जय भगवद् गीते । हरि-हिय-कमल-विहारिणि, सुन्दर सुपुनीते ॥ श्री भगवद गीता आरती भगवान श्रीकृष्ण की दिव्य शिक्षाओं और उनके अनंत ज्ञान को समर्पित एक भक्ति गीत है। यह आरती भगवद गीता के महत्व को दर्शाती है और श्रद्धालुओं को भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त करने में मदद करती है। इसे गाने से गीता के ज्ञान को आत्मसात करने की प्रेरणा मिलती है और व्यक्ति के जीवन में सकारात्मकता आती है।

श्री भगवद गीता आरती का महत्व

भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त होती है
यह आरती भगवान कृष्ण की वाणी, अर्थात भगवद गीता के ज्ञान को नमन करती है। इसे गाने से जीवन में आध्यात्मिकता बढ़ती है और ईश्वर की भक्ति प्रबल होती है।
ज्ञान, शांति और मोक्ष की ओर मार्गदर्शन
भगवद गीता को "सर्वोच्च ज्ञान" कहा जाता है, जो मनुष्य को धर्म, कर्म और मोक्ष का सही मार्ग दिखाती है। यह आरती गीता के ज्ञान को आत्मसात करने में मदद करती है और मन को शांति प्रदान करती है।
नकारात्मकता और भ्रम का नाश
गीता हमें मोह, भय और अज्ञान से मुक्त होने की प्रेरणा देती है। इस आरती को गाने से व्यक्ति के भीतर संतुलन और सकारात्मक सोच विकसित होती है।
जीवन में धर्म और कर्तव्य की समझ
भगवद गीता धर्म और कर्तव्य (धर्म, भक्ति और योग) का मार्ग दिखाती है। इस आरती के माध्यम से भगवान कृष्ण की शिक्षाओं को आत्मसात करने की प्रेरणा मिलती है।

श्री भगवद गीता आरती के लाभ

  1. मानसिक शांति और आत्मिक बल मिलता है।
  2. जीवन के संघर्षों को समझने और उनका समाधान पाने में सहायता मिलती है।
  3. भगवान श्रीकृष्ण की कृपा और गीता के दिव्य ज्ञान का लाभ प्राप्त होता है।
  4. सकारात्मकता, आत्मविश्वास और आध्यात्मिक उन्नति होती है।
  5. मन, बुद्धि और आत्मा में सामंजस्य स्थापित होता है।
आरती गाने का शुभ समय
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, गीता जयंती, और गुरुवार को विशेष रूप से इस आरती का पाठ करना शुभ माना जाता है।
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