सीता जी की आरती | माँ सीता की भक्तिमय आरती
सीता विराजित मिथिलाधाम सब मिल कर करें अरती।
सँग सुशोभित लछुमन-राम सब मिल कर करैं अरती।।
विपदा विनाशिनी सुखदा चराचर,
सीता धिया बानी आयें सुनयना घर।
सीता विराजित मिथिलाधाम सब मिल कर करें अरती।।
सीता सर्वेश्वरी ममता सरोवर,
बायां कमल कर डायायां अभय वर।
सौम्या सकल गुणधाम सब मिल कर करे अरती।
सीता विराजित मिथिलाधाम सब मिल कर करें अरती।।
रामप्रिया सर्वमंगल दायिनी,
सीता सकल जगती दुःखहारिणै।
करेन सबका कल्याण सब मिल कर करेन आरती।
सीता विराजित मिथिलाधाम सब मिल कर करें अरती।।
सीता-राम की जोड़ी अतिभावन,
नैहर ससुर किआ पावन
सेवक हैं हनुमान सब मिल कर करें आरती।
सीता विराजित मिथिलाधाम सब मिल कर करें अरती।।
ममतामयी माता सीता पुनीता,
सन्तं हेतु सीता सदा सुनीता
धरणै-सुता सब ठाम सब मिल कर करें अरती।।
सीता विराजित मिथिलाधाम सब मिल कर करें अरती।।
शुक्ल नवमी तिथि वैशाख मासे,
'चन्द्रमणै' सीता उत्सव हुलासे
पाय सकल सुखधाम ।।
सब मिल कर करे आरती।।
सीता विराजित मिथिलाधाम सब मिल कर करें आरती।
डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।