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श्री काली ताण्डव स्तोत्रम्

श्री काली ताण्डव स्तोत्रम्
हुंहुङ्कारे शवारूढे नीलनीरजलोचने । त्रैलोक्यैकमुखे दिव्ये कालिकायै नमोऽस्तु ते ॥ १ ॥ प्रत्यालीढपदे घोरे मुण्डमालाप्रलम्बिते । खर्वे लम्बोदरे भीमे कालिकायै नमोऽस्तु ते ॥ २ ॥ नवयौवनसम्पन्ने गजकुम्भोपमस्तनी । वागीश्वरी शिवे शान्ते कालिकायै नमोऽस्तु ते ॥ ३ ॥ लोलजिह्वे हरालोके नेत्रत्रयविभूषिते । घोरहास्यत्कटा कारे कालिकायै नमोऽस्तु ते ॥ ४ ॥ व्याघ्रचर्माम्बरधरे खड्गकर्तृकरे धरे । कपालेन्दीवरे वामे कालिकायै नमोऽस्तु ते ॥ ५ ॥ नीलोत्पलजटाभारे सिन्धूरेन्दुमुखोदरे । स्फुरद्वक्त्रोष्टदशने कालिकायै नमोऽस्तु ते ॥ ६ ॥ प्रलयानलधूम्राभे चन्द्रसूर्याग्निलोचने । शैलवासे शुभे मातः कालिकायै नमोऽस्तु ते ॥ ७ ॥ ब्रह्मशम्भुजलौघे च शवमध्ये प्रसंस्थिते । प्रेतकोटिसमायुक्ते कालिकायै नमोऽस्तु ते ॥ ८ ॥ कृपामयि हरे मातः सर्वाशापरिपुरिते । वरदे भोगदे मोक्षे कालिकायै नमोऽस्तु ते ॥ ९ ॥ इत्युत्तरतन्त्रार्गतं श्री काली ताण्डव स्तोत्रम् ।
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