शरद नवरात्रि का दूसरा दिन माँ ब्रह्मचारिणी की उपासना के लिए होता है। ब्रह्मचारिणी, तप और साधना की देवी हैं। इनकी पूजा से साधक को आत्मसंयम, भक्ति और आध्यात्मिक शक्ति की प्राप्ति होती है।
माँ ब्रह्मचारिणी का स्वरूप
- माँ ब्रह्मचारिणी के दाहिने हाथ में जपमाला और बाएं हाथ में कमंडल रहता है। वे तपस्या और भक्ति की प्रतीक हैं।
- इनका स्वरूप साधकों को कठिनाइयों में धैर्य और साहस देता है।
- इनकी पूजा से तप, ज्ञान और वैराग्य की वृद्धि होती है।
पूजा विधि
- सुबह स्नान के बाद व्रत संकल्प लें।
- माँ ब्रह्मचारिणी की प्रतिमा/चित्र को गंगाजल से शुद्ध कर पुष्प अर्पित करें।
- धूप, दीप और नैवेद्य चढ़ाएँ।
- ब्रह्मचारिणी मंत्र का जप करें:
ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः
- नवदुर्गा स्तोत्र और दुर्गा सप्तशती का पाठ करना उत्तम माना जाता है।
महत्व
- ब्रह्मचारिणी पूजा से साधक को त्याग और संयम की शक्ति मिलती है।
- यह दिन साधकों को ज्ञान की ओर अग्रसर करता है।
- परिवार में सुख-शांति और सौभाग्य की वृद्धि होती है।