मिथुन संक्रांति उस दिन को कहते हैं जब सूर्य देव वृषभ राशि से निकलकर मिथुन राशि में प्रवेश करते हैं। यह संक्रांति ग्रीष्म ऋतु के मध्य में आती है और धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस दिन किए गए स्नान, दान और सूर्य-पूजन से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
मिथुन संक्रांति का महत्व
- मिथुन संक्रांति को दान-पुण्य और पितृ तर्पण के लिए विशेष रूप से शुभ माना गया है।
- इस दिन सूर्य देव और भगवान विष्णु की पूजा करने से परिवार में सुख-समृद्धि आती है।
- यह संक्रांति कृषि कार्य, धन लाभ और व्यापार वृद्धि के लिए भी शुभ मानी जाती है।
- ब्राह्मणों को अन्न और वस्त्र दान करने का विशेष महत्व है।
मिथुन संक्रांति पूजा विधि
- प्रातःकाल पवित्र नदी या घर पर स्नान करें।
- सूर्य देव को जल अर्पित करें और "ॐ घृणि सूर्याय नमः" मंत्र का जप करें।
- भगवान विष्णु की पूजा करें और तुलसी पत्र चढ़ाएँ।
- गरीब और जरुरतमंदों को भोजन कराएँ।
- तिल, अन्न और वस्त्र का दान करें।
मिथुन संक्रांति के शुभ फल
- जीवन में सुख-शांति और स्वास्थ्य लाभ मिलता है।
- व्यापार और नौकरी में उन्नति होती है।
- पितरों की कृपा प्राप्त होती है और कुल का कल्याण होता है।
- दान-पुण्य से धन और समृद्धि बढ़ती है।
आगामी संक्रांति की तिथियाँ
- 16 नवंबर 2025, रविवर वृश्चिक संक्रांति
- 16 दिसंबर 2025, मंगलावर धनु संक्रांति
- 14 जनवरी 2026, बुधवार मकर संक्रांति