॥ श्री भैरव देव जी आरती ॥
जय भैरव देवा, प्रभु जय भैरव देवा ।
जय काली और गौर देवी कृत सेवा ॥
॥ जय भैरव देवा...॥
तुम्ही पाप उद्धारक दुःख सिन्धु तारक ।
भक्तो के सुख कारक भीषण वपु धारक ॥
॥ जय भैरव देवा...॥
वाहन श्वान विराजत कर त्रिशूल धारी ।
महिमा अमित तुम्हारी जय जय भयहारी ॥
॥ जय भैरव देवा...॥
तुम बिन देवा सेवा सफल नहीं होवे ।
चौमुख दीपक दर्शन दुःख खोवे ॥
॥ जय भैरव देवा...॥
तेल चटकी दधि मिश्रित भाषावाली तेरी ।
कृपा कीजिये भैरव, करिए नहीं देरी ॥
॥ जय भैरव देवा...॥
पाँव घुँघरू बाजत अरु डमरू दम्कावत ।
बटुकनाथ बन बालक जल मन हरषावत ॥
॥ जय भैरव देवा...॥
बटुकनाथ जी की आरती जो कोई नर गावे ।
कहे धरनी धर नर मनवांछित फल पावे ॥
॥ जय भैरव देवा...॥
भगवान काल भैरव शिवजी के रौद्र रूप माने जाते हैं, जो भक्तों की रक्षा करते हैं और जीवन से सभी बाधाओं को दूर करते हैं। उनकी आरती करने से नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है, भय और शत्रु बाधाएं समाप्त होती हैं, और व्यक्ति के जीवन में सफलता एवं समृद्धि आती है।
भैरव आरती का महत्व
- नकारात्मक शक्तियों और बुरी नजर से रक्षा – भगवान भैरव तंत्र और शक्ति के देवता हैं। उनकी आरती करने से सभी नकारात्मक ऊर्जाओं, बुरी नजर और टोने-टोटके का प्रभाव समाप्त हो जाता है।
- भय और शत्रु बाधाओं का नाश – काल भैरव की पूजा करने से सभी भय, अनहोनी और शत्रुओं से सुरक्षा मिलती है।
- व्यापार, करियर और नौकरी में सफलता – भैरव आरती करने से व्यापार में उन्नति, नौकरी में तरक्की और आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।
- जीवन में सुख-समृद्धि – भगवान भैरव की कृपा से परिवार में सुख-शांति बनी रहती है और जीवन में समृद्धि आती है।
- सड़क दुर्घटनाओं और यात्रा में सुरक्षा – काल भैरव को ‘यात्रा रक्षक’ माना जाता है। उनकी आरती करने से दुर्घटनाओं से बचाव होता है।
भैरव आरती करने की विधि
आवश्यक सामग्री
- घी/तेल का दीपक
- लाल रंग के फूल
- धूप-अगरबत्ती
- पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर)
- मिठाई और प्रसाद (उड़द के वड़े, काली उड़द से बनी चीजें शुभ मानी जाती हैं)
- काले तिल और सरसों का तेल
आरती करने की विधि
- मंगल स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- भगवान भैरव की प्रतिमा या तस्वीर को लाल कपड़े पर स्थापित करें।
- घी/तेल का दीपक जलाएं और धूप-अगरबत्ती लगाएं।
- लाल फूल और पंचामृत अर्पित करें।
- श्रद्धा भाव से "जय भैरव देवा" या "काल भैरव की आरती" का पाठ करें।
- शंख और घंटी बजाकर आरती करें।
- प्रसाद (विशेष रूप से उड़द के वड़े) वितरित करें।
- सप्ताह में कम से कम एक बार (विशेष रूप से रविवार या मंगलवार) आरती करें।
भैरव आरती करने से भय, शत्रु बाधा, नकारात्मक ऊर्जा और अनहोनी दूर होती है। यह आरती न केवल सुरक्षा प्रदान करती है बल्कि आर्थिक समृद्धि, सफलता और मानसिक शांति भी देती है।
जय श्री काल भैरव!