माँ आरती तेरी गाते, भजन हम सदा सुनाते।
माँ आरती तेरी गाते, भजन हम सदा सुनाते॥
रुप तुम्हारा सदा ही, छाया चारों ओर।
तेरी ज्योत से मिटे, सारा अंधकार॥
माँ आरती तेरी गाते, भजन हम सदा सुनाते॥
कुष्मांडा रूप है तेरा, जो सबका हितकारी।
कृपा दृष्टि से तुझसे, बनी सृष्टि सारी॥
माँ आरती तेरी गाते, भजन हम सदा सुनाते॥
तेरे चरणों में शीश झुका कर, मनाए हम उत्सव।
तेरी कृपा से सबको, मिलते हैं सुख अपार॥
माँ आरती तेरी गाते, भजन हम सदा सुनाते॥
तेरे भंडारे से ही, भरे सबके कंगाल।
जो भी मांगे तुझसे, वह न कभी रहे बेहाल॥
माँ आरती तेरी गाते, भजन हम सदा सुनाते॥
रिद्धि-सिद्धि की दात्री, माँ कुष्मांडा तू ही।
दया दृष्टि से तुझसे, मिलते सभी को फल॥
माँ आरती तेरी गाते, भजन हम सदा सुनाते॥
सदा हर्षित हो माँ, अपने भक्तों का भंडार।
सबको सुख-शांति मिलती, तेरे दर से अपार॥
माँ आरती तेरी गाते, भजन हम सदा सुनाते॥