मारुति स्तोत्र | समर्थ रामदास कृत | भीमरूपी महारुद्रा वज्र हनुमान
मारुति स्तोत्र: समर्थ रामदास स्वामी द्वारा रचित स्तोत्र, जिसमें भगवान हनुमान को भीमरूपी महारुद्रा और वज्र मारुति के रूप में स्तुति की गई है। भक्तों को शक्ति, साहस और भक्ति प्रदान करने वाला स्तोत्र।
भीमरूपी महारुद्र वज्रहनुमान मारुति |
वानरि अंजनिसुता रामदूत प्रभंजना || 1 ||
महाबली प्राणदाता सकला उठवी बाले |
सौख्यकारी दुःख हरि धूर्त वैष्णवगायक || 2 ||
दीन-नाथ हरिरूप सुंदर जगदंत्र |
पातालदेवताहंता भव्य सिन्दूर लेपना || 3 ||
लोकनाथ जगन्नाथ प्राणनाथ पुराणा |
पुण्यवंता पुण्यशिला पावना परितोषिका || 4 ||
ध्वजांगे उचली बहो आवेशे लोटला पुधे |
कालाग्नि कालरुद्राग्नि देखत कपति भये || 5 ||
ब्रह्माण्डी माईली नेनो आवले दन्तपंगति |
नेत्रग्नि चालिल्य ज्वाला भ्रुकुटि तथिल्या बलेन || 6 ||
पुछ ते मुरदिले मंथा किरीटी कुंडले बाड़ी |
सुवर्ण कटि कसोति घंटा किंकिणी नागरा || 7 ||
ठाकरे पर्वत ऐसा नेटका सदपतलु |
चपलंग पहता मोठे महाविद्द्युल्लातेपरी || 8 ||
कोटिच्या कोटि उद्दाने जेपवे उत्तरेकडे |
मंदराद्रिसरिखा द्रोणु क्रोधे उत्पतिला बलेन || 9 ||
आनिला मगुति नेला आला गेला मनोगति |
मनासी तकिले मागे गतिसी तुलना नासे || 10 ||
अनु पसोनि ब्रह्माण्ड एवधा होत जातसे |
तैसी तुलना कोठे मेरुमंदर धाकुटे || 11 ||
ब्रह्माण्ड भोवते वेधे वज्र पुच्छ करु शेक |
तयसि तुलना कैची ब्रह्माण्डि पहता नसे || 12 ||
अरक्त देखिले डोला ग्रसीले सूर्यमंडला |
वधाता वधाता वधे भेदिले शुन्यमण्डला || 13 ||
धन-धान्य पशुवृद्धि पुत्रपौत्र समस्तः |
पावति रूपविद्यादि स्तोत्रपथे करिणिया || 14 ||
भूत प्रेत समन्धादि रोगव्याधि समस्तः |
नासति तुतति चिंता आनन्दे भीमदर्शने || 15 ||
हे धरा पंधारा श्लोकी लभाली शोभली भाली |
द्रुधदेहों निसंदेहो सांख्य चंद्रकलागुणे || 16 ||
रामदासि अग्रगण्यु कपि कुलसि मंदनु |
रामरूपी अंतरात्मा दर्शने दोष नास्ति || 17 ||
इति श्री रामदासकृतं संकटनिरसनम्
श्री मारुतीस्तोत्रम सम्पूर्णम् ||
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