गणेश चतुर्थी

ganesh-ji

गणेश चतुर्थी भारत के विभिन्न भागों में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण हिंदू त्यौहार है, महाराष्ट्र में यह त्यौहार विशेष उत्साह के साथ मनाया जाता है। पुराणों के अनुसार, इस दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था। गणेश चतुर्थी के दौरान भक्तगण प्रमुख स्थानों पर उनकी बड़ी-बड़ी प्रतिमाएँ स्थापित करके हिंदू भगवान गणेश की पूजा करते हैं। इन प्रतिमाओं की नौ दिनों तक पूजा की जाती है, जिसके लिए आस-पास के क्षेत्रों से बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं। नौ दिनों की पूजा के बाद, गणेश प्रतिमाओं को तालाबों और समुद्र जैसे जल निकायों में गीतों और संगीत वाद्ययंत्रों के साथ औपचारिक रूप से विसर्जित किया जाता है। भगवान गणेश को लंबोदर के नाम से भी जाना जाता है। शिवपुराण के अनुसार, मंगलमूर्ति गणेश भाद्रपद माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को अवतरित हुए थे। इसके विपरीत, गणेश पुराण में कहा गया है कि यह अवतार भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को हुआ था।

विनायक चतुर्थी के मुख्य पहलू

महत्व:यह भगवान गणेश के जन्म का उत्सव है, जो शिव और पार्वती के पुत्र हैं।भगवान गणेश को विघ्नहर्ता और बुद्धि, समृद्धि और शुभता का देवता माना जाता है।

मूर्ति स्थापना:भक्त गणेश जी की मिट्टी की मूर्तियों को घरों में, सार्वजनिक पंडालों में, या कार्यालयों में स्थापित करते हैं। मूर्ति स्थापना शुभ मुहूर्त में की जाती है, जो प्रायः सुबह या दोपहर का समय होता है। मूर्ति की स्थापना के बाद विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।

प्राणप्रतिष्ठा:मूर्ति स्थापना के बाद गणेश जी की प्राणप्रतिष्ठा की जाती है, जिसमें मंत्रों और स्तोत्रों का उच्चारण कर मूर्ति में जीवन की स्थापना की जाती है।गणेश जी को लाल फूल, दूर्वा (दूब), और मोदक का भोग लगाया जाता है।

दैनिक पूजा और आरती:दस दिनों तक प्रतिदिन सुबह और शाम को गणेश जी की पूजा और आरती की जाती है। भक्त गणेश स्तोत्र, गणपति अथर्वशीर्ष, और गणेश चालीसा का पाठ करते हैं।

मोदक का भोग:मोदक भगवान गणेश का प्रिय भोजन माना जाता है, इसलिए इसे विशेष रूप से तैयार किया जाता है और गणेश जी को अर्पित किया जाता है। इसके अलावा, लड्डू, पान, नारियल, और अन्य मिठाइयों का भी भोग लगाया जाता है।

विशेष कार्यक्रम और सांस्कृतिक आयोजन:इस अवधि में संगीत, नृत्य, नाटक, और भजन संध्या जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। प्रतियोगिताएं और सामुदायिक भोज भी आयोजित किए जाते हैं।

विसर्जन (गणेश विसर्जन):दसवें दिन, जिसे अनंत चतुर्दशी कहा जाता है, गणेश जी की मूर्तियों का विसर्जन किया जाता है। विसर्जन के दौरान जुलूस निकाले जाते हैं, जिसमें भक्त गणेश जी के भजन गाते और नाचते हुए मूर्ति को नदी, तालाब या समुद्र में विसर्जित करते हैं।

ज्योतिषीय महत्व:यह त्योहार शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से प्रारंभ होकर अनंत चतुर्दशी (चौदहवें दिन) तक चलता है।इसे नए कार्यों की शुरुआत, बुद्धि की प्राप्ति और विघ्नों के निवारण के लिए शुभ माना जाता है।

गणेश चतुर्थी की तारीख की गणना

गणेश चतुर्थी भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाई जाती है। सटीक तिथि हर वर्ष बदलती रहती है और यह चंद्र कैलेंडर पर आधारित होती है।

पौराणिक कथाएँ

एक प्रमुख कथा के अनुसार, पार्वती जी ने अपनी उबटन से गणेश जी की मूर्ति बनाई और उसमें प्राण फूँके। पार्वती जी ने उन्हें द्वारपाल नियुक्त किया। शिव जी ने जब पार्वती जी के कक्ष में प्रवेश करने की कोशिश की, तो गणेश जी ने उन्हें रोक दिया। क्रोधित होकर शिव जी ने गणेश जी का सिर काट दिया।बाद में पार्वती जी के अनुरोध पर शिव जी ने गणेश जी को हाथी का सिर लगाकर पुनर्जीवित किया और उन्हें प्रथम पूज्य देवता का आशीर्वाद दिया।

गणेश जी को यह वरदान मिला कि कोई भी शुभ कार्य करने से पहले उनकी पूजा की जाएगी, ताकि सभी विघ्न दूर हो सकें।

विशेष पहलू

गणेश चतुर्थी का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व: यह पर्व न केवल धार्मिक है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है।लोग एकत्रित होते हैं, सामुदायिक पूजा करते हैं और एक-दूसरे के साथ खुशियाँ बाँटते हैं।

पर्यावरण-संवेदनशील गणेश चतुर्थी:आजकल, पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए मिट्टी की मूर्तियों का उपयोग और कृत्रिम विसर्जन की व्यवस्था की जा रही है। इस पहल का उद्देश्य जल स्रोतों को प्रदूषण से बचाना और पर्यावरण को सुरक्षित रखना है।

गणेश चतुर्थी का यह पर्व भगवान गणेश की भक्ति, आस्था, और सामुदायिक समरसता का प्रतीक है।

Upcoming Ganesh Chaturthi Dates
  • 14 September 2026, Monday
Disclaimer: The accuracy or reliability of any information/content/calculations contained in this article is not guaranteed. This information has been collected from various mediums/astrologers/almanac/sermons/beliefs/religious scriptures and presented to you. Our aim is only to provide information, its users should consider it as mere information. Additionally, the responsibility for any use remains that of the user himself.

© https://www.nakshatra.appAll Rights Reserved.