“Shuklambardharam Vishnum” is a highly sacred and auspicious obstacle-destroying verse,
which is recited before any auspicious work, puja, or yagna to appease Lord Shri Ganesha.
This verse is a mantra that meditates on the calm, happy, and wise form of Lord Ganesha.
Mantra
Shuklambaradharam Vishnum Shashivarnam Chaturbhujam,
Prasannavadanam Dhyayet Sarva Vighnopashantaye.
मंत्र(Hindi)
शुक्लाम्बरधरं विष्णुं शशिवर्णं चतुर्भुजम् ।
प्रसन्नवदनं ध्यायेत् सर्वविघ्नोपशान्तये ॥
मंत्र का भावार्थ
- शुक्लाम्बरधरं — जो सफेद वस्त्र धारण करते हैं, शुद्धता और सत्त्व का प्रतीक।
- विष्णुं — जो सर्वव्यापक हैं, सभी में व्याप्त शक्ति।
- शशिवर्णं — चंद्रमा के समान शीतल और शुद्ध।
- चतुर्भुजम् — चार भुजाओं वाले, जो धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- प्रसन्नवदनं — सदैव मुस्कुराते हुए, शांति और प्रसन्नता के दाता।
- सर्वविघ्नोपशान्तये — सभी बाधाओं को शांत करने हेतु।
महत्व (Significance)
यह श्लोक हर शुभ कार्य से पहले बोला जाता है क्योंकि यह बुद्धि, शांति और सफलता का आशीर्वाद देता है। यह केवल पूजा के समय ही नहीं, बल्कि प्रतिदिन प्रातः स्मरण करने योग्य मंत्र है। जो व्यक्ति इसका नियमित जाप करता है, उसके जीवन में विघ्न स्वतः दूर होते हैं।पाठ विधि (How to Chant)
- प्रातःकाल स्नान कर भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र के समक्ष दीप जलाएँ।
- मन को शांत कर तीन बार यह श्लोक पढ़ें।
- इसके बाद “ॐ गं गणपतये नमः” का जप करें।
- अंत में गणेश जी को मोदक या गुड़ का भोग लगाएँ।
॥ श्री गणेशाय नमः ॥