शक्ति, हिंदू धर्म में दिव्य स्त्री ऊर्जा और सृजन, संरक्षण, और विनाश की मौलिक शक्ति का प्रतिनिधित्व करती हैं। शक्ति को देवी के विभिन्न रूपों में पूजा जाता है, जैसे दुर्गा, काली, लक्ष्मी, सरस्वती, और पार्वती। वे ब्रह्मांड की समस्त ऊर्जा का स्रोत हैं और हर जीवित प्राणी में विद्यमान हैं।
सृजन और विनाश: शक्ति सृजन, संरक्षण, और विनाश की देवी हैं। वे संसार को उत्पन्न करती हैं, उसकी रक्षा करती हैं, और आवश्यकता पड़ने पर विनाश भी करती हैं।
अद्वितीय ऊर्जा: शक्ति वह ऊर्जा है जो पूरे ब्रह्मांड को संचालित करती है। यह ऊर्जा जीवन के हर पहलू में दिखाई देती है।
दिव्य रूप: शक्ति के कई रूप हैं, जैसे दुर्गा की महाकाली, जो बुराई का नाश करती हैं, और लक्ष्मी, जो समृद्धि प्रदान करती हैं।
प्रमुख रूप
दुर्गा: महिषासुरमर्दिनी के रूप में, दुर्गा ने महिषासुर का वध किया और बुराई पर विजय प्राप्त की।
काली: काली का रूप शक्तिशाली और भयावह है। उन्होंने रक्तबीज जैसे असुरों का नाश किया।
लक्ष्मी: लक्ष्मी देवी धन, समृद्धि, और सौभाग्य की देवी हैं। उनकी पूजा दीपावली पर विशेष रूप से की जाती है।
सरस्वती: सरस्वती विद्या, कला, और संगीत की देवी हैं। उनकी पूजा बसंत पंचमी पर होती है।
पार्वती: पार्वती, शिव की पत्नी, और गणेश और कार्तिकेय की माता हैं। वे सौम्यता और भक्ति की प्रतीक हैं।
पूजा और महत्व:
नवरात्रि: शक्ति की पूजा का प्रमुख पर्व है, जिसमें नौ दिनों तक शक्ति के नौ रूपों की आराधना की जाती है।
दुर्गा पूजा: विशेष रूप से बंगाल में मनाया जाने वाला यह पर्व शक्ति की विजय का उत्सव है।
शक्ति पीठ: ये वे पवित्र स्थल हैं जहाँ देवी शक्ति के अंग गिरे थे, और यहाँ उनकी विशेष पूजा की जाती है।
उपदेश और संदेश:
नारी सशक्तिकरण: शक्ति का अर्थ ही नारी सशक्तिकरण है। वे संदेश देती हैं कि नारी में असीम शक्ति और साहस है।
धर्म और न्याय: शक्ति का हर रूप धर्म और न्याय की स्थापना करता है और बुराई का नाश करता है।
भक्ति और शक्ति: देवी शक्ति की पूजा से भक्तों को आत्मबल, साहस, और समृद्धि प्राप्त होती है।
शक्ति की पूजा और आराधना हमें यह सिखाती है कि हर व्यक्ति के भीतर दिव्य शक्ति है, जो हमें हर कठिनाई का सामना करने की क्षमता देती है। वे नारीत्व का सर्वोच्च रूप हैं और उनकी पूजा से जीवन में शक्ति, संतुलन, और समृद्धि प्राप्त होती है।