स्कंदमाता देवी देवी दुर्गा का पांचवा रूप है जिसकी पूजा नवरात्रि के नौ दिनों में की जाती है। "स्कंदमाता" नाम दो शब्दों से लिया गया है: "स्कंद", जो युद्ध के देवता और शिव और पार्वती के पुत्र कार्तिकेय या मुरुगन का दूसरा नाम है, और "माता", जिसका अर्थ है माँ। स्कंद (कार्तिकेय) की माँ के रूप में, स्कंदमाता मातृत्व, करुणा और पोषण शक्ति का प्रतिनिधित्व करती हैं।
स्कंदमाता देवी का महत्व
मातृत्व का प्रतीक: स्कंदमाता देवी एक माँ के निस्वार्थ स्वभाव का प्रतीक हैं जो अपने बच्चे से बिना शर्त प्यार करती है और उसकी रक्षा करती है। उन्हें अक्सर अपने बेटे स्कंद को गोद में लिए हुए दिखाया जाता है, जो उनके सुरक्षात्मक और पालन-पोषण करने वाले गुणों का प्रतिनिधित्व करता है।
बुद्धि और समृद्धि प्रदान करने वाली: ऐसा माना जाता है कि स्कंदमाता देवी की पूजा करने से ज्ञान, समृद्धि और मोक्ष मिलता है। वह अपने भक्तों को अज्ञानता पर काबू पाने और आत्मज्ञान प्राप्त करने में मदद करती हैं। भक्त भौतिक और आध्यात्मिक दोनों तरह की संपत्ति के लिए उनका आशीर्वाद मांगते हैं।
राक्षसों का नाश करने वाली: एक पालन-पोषण करने वाली माँ के रूप में भी, स्कंदमाता बुरी शक्तियों के खिलाफ़ उग्र और शक्तिशाली हैं। वह अपने बच्चों और अनुयायियों को सभी नुकसानों से बचाने के लिए मातृत्व में निहित शक्ति का प्रतिनिधित्व करती हैं।
करुणा का प्रतिनिधित्व: वह करुणा और क्षमा का प्रतीक हैं। कहा जाता है कि उनकी पूजा से हृदय और मन शुद्ध होता है, जिससे भक्त शांति और ईश्वरीय कृपा की भावना से भर जाता है।
स्कंदमाता देवी की पूजा कैसे करें
तैयारी: स्नान करके और साफ कपड़े पहनकर शुरुआत करें। पूजा स्थल को साफ करें और स्कंदमाता देवी की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें।
भोग: देवी को पीले फूल, फल और मिठाई चढ़ाएं। पीला उनका पसंदीदा रंग माना जाता है, जो पवित्रता और भक्ति का प्रतीक है।
मंत्र जाप: मंत्र “ॐ देवी स्कंदमातायै नमः” (ओम देवी स्कंदमातायै नमः) का कम से कम 108 बार जाप करें। यह मंत्र उनकी कृपा और आशीर्वाद पाने में मदद करता है।
ध्यान और प्रार्थना: स्कंदमाता देवी के स्वरूप का ध्यान करें, उनके पोषण और दयालु गुणों की कल्पना करें। अपने परिवार और प्रियजनों पर उनके आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करें।
आरती: स्कंदमाता देवी की आरती करें, उनकी स्तुति में भजन गाएं। घी का दीपक जलाएं और घंटी बजाते हुए उन्हें अर्पित करें।
प्रसाद चढ़ाना: आरती के बाद, स्कंदमाता देवी को प्रसाद (आमतौर पर केले या गुड़ जैसे फल या मिठाई) चढ़ाएं और फिर इसे आशीर्वाद के रूप में परिवार और दोस्तों में बांटें।
आशीर्वाद मांगना: झुकें और शांति, समृद्धि और सभी नुकसानों से सुरक्षा के लिए देवी का आशीर्वाद मांगें। ज्ञान, मार्गदर्शन और आध्यात्मिक विकास के लिए प्रार्थना करें।
स्कंदमाता देवी की पूजा से शांति, समृद्धि और बाधाओं का निवारण होता है। वह भक्तों को ज्ञान और आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने में मदद करती हैं और एक प्यारी माँ की तरह उनकी रक्षा करती हैं।