रघुपति राघव राजा राम - भगवान राम का एक भक्ति भजन
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रघुपति राघव राजाराम
पतित पावन सीताराम ॥
सुंदर विग्रह मेघश्याम
गंगा तुलसी शालग्राम ॥
रघुपति राघव राजाराम
पतित पावन सीताराम ॥
भद्रगिरीश्वर सीताराम
भगत-जनप्रिय सीताराम ॥
रघुपति राघव राजाराम
पतित पावन सीताराम ॥
जानकीरमणा सीताराम
जयजय राघव सीताराम ॥
रघुपति राघव राजाराम
पतित पावन सीताराम ॥
रघुपति राघव राजाराम
पतित पावन सीताराम ॥
रघुपति राघव राजाराम: भक्ति और शांति का प्रतीक भजन
"रघुपति राघव राजाराम, पतित पावन सीताराम" भजन भारतीय भक्ति परंपरा का एक प्रसिद्ध और पवित्र गीत है। यह भजन भगवान श्रीराम की स्तुति में गाया जाता है और इसे महात्मा गांधी ने अपने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान सत्य और अहिंसा के संदेश के रूप में अपनाया था।
इस भजन में भगवान राम को "रघुपति" यानी रघु कुल के स्वामी और "पतित पावन" यानी सभी पापों से मुक्त करने वाले के रूप में वर्णित किया गया है। यह गीत न केवल धार्मिक भावना को जागृत करता है, बल्कि प्रेम, शांति और समर्पण का संदेश भी देता है। महात्मा गांधी इसे प्रार्थना सभाओं में गाते थे, जिससे यह भजन राष्ट्रपिता के अहिंसक आंदोलन का प्रतीक बन गया।
"ईश्वर अल्लाह तेरे नाम, सबको सन्मति दे भगवान" – इस पंक्ति में सर्वधर्म समभाव की भावना व्यक्त की गई है, जो सभी धर्मों को समान मानने की सीख देती है। यह भजन आज भी मंदिरों, सत्संगों और भक्ति आयोजनों में श्रद्धा और भक्ति भाव से गाया जाता है। "रघुपति राघव राजाराम" हमें प्रेम, करुणा और धार्मिक सहिष्णुता की शिक्षा देता है।
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