जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी॥
माँ गज का रूप निराला, शोभित संग सवारी।
महिषासुर संग संहारी, नाम लिया अति भारी॥
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी॥
कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।
श्री मालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योती॥
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी॥
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भवानी।
रिद्धि और सिद्धि दाता, नाम लिया अति भारी॥
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी॥
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी॥
आरती का महत्व
माँ दुर्गा की कृपा प्राप्ति – इस आरती का नियमित जाप करने से माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
सकारात्मक ऊर्जा – यह आरती व्यक्ति के जीवन में सकारात्मकता और आध्यात्मिक उन्नति लाती है।
नवरात्रि और अन्य पर्वों पर विशेष महत्त्व – नवरात्रि, दुर्गा पूजा, और अन्य शुभ अवसरों पर इस आरती का विशेष महत्व होता है।
भय और कष्टों का नाश – माता रानी की स्तुति से जीवन के संकट और भय समाप्त होते हैं।
आरती गाने के फायदे
मानसिक शांति और आत्मबल बढ़ता है।
घर में सुख-समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा आती है।
भक्तों को आध्यात्मिक उन्नति और आत्मशुद्धि का अनुभव होता है।
कष्टों से मुक्ति और जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
कैसे करें सही विधि से माँ अम्बे की आरती?
पूजा स्थल को शुद्ध करें – धूप, दीप और फूल चढ़ाएं।
घी का दीपक जलाएं – माँ की कृपा प्राप्त करने के लिए दीप जलाना शुभ होता है।
श्रद्धा और भक्ति से आरती गाएं – पूरे समर्पण और भक्ति भाव से आरती करें।
शंख और घंटी बजाएं – इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
प्रसाद वितरण करें – आरती के बाद भक्तों में प्रसाद बांटना शुभ माना जाता है।