ऐसा दरबार कहाँ, ऐसा दातार कहाँ
ऐसा दरबार कहाँ, ऐसा दातार कहाँ
भक्तों को देता है जो, भोले जैसा प्यार कहाँ
ऐसा दरबार कहाँ, ऐसा दातार कहाँ
जो भी आया तेरे द्वार, खुशहाल हो गया
सूनी पड़ी झोलियाँ, मालामाल हो गया
तेरे दर की भीख में, बड़ा सुख पाता है
तेरे दर से जो भी जाए, सब कुछ पाता है
दुखियों का रखवाला, संकट हरने वाला
ऐसा दरबार कहाँ, ऐसा दातार कहाँ
ऐसा दरबार कहाँ, ऐसा दातार कहाँ
भक्तों को देता है जो, भोले जैसा प्यार कहाँ
ऐसा दरबार कहाँ, ऐसा दातार कहाँ
जग में तेरे जैसा, कोई भी नही दानी
हर दम करे भला, सबकी सुनता कहानी
सबसे निराला है, तुझसा भोला भाला है
तेरा कोई ना जवाब, जग में रखवाला है
तेरे जैसा भोला, सारा जग में ना
ऐसा दरबार कहाँ, ऐसा दातार कहाँ
ऐसा दरबार कहाँ, ऐसा दातार कहाँ
भक्तों को देता है जो, भोले जैसा प्यार कहाँ
ऐसा दरबार कहाँ, ऐसा दातार कहाँ