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प्रकृति

देवा श्री गणेशा

देवा श्री गणेशा, देवा श्री गणेशा देवा श्री गणेशा, देवा श्री गणेशा ज्वाला सी जलती है आँखो मे जिसके भी दिल मे तेरा नाम है पर्वा ही क्या उसका आरंभ कैसा है और कैसा परिणाम है धरती अंबर सितारे, उसकी नज़रे उतारे डर भी उससे डरा रे, जिसकी रखवालिया रे करता साया तेरा हे देवा श्री गणेशा देवा श्री गणेशा, देवा श्री गणेशा देवा श्री गणेशा, हो तेरी भक्ति तो वरदान है जो कमाए वो धनवान है बिन किनारे की कश्ती है वो देवा तुझसे जो अन्जान है यूँ तो मूषक सवारी तेरी सब पे है पहेरेदारी तेरी पाप की आँधिया लाख हो कभी ज्योती ना हारी तेरी अपनी तकदीर का वो खुद सिकंदर हुआ रे भूल के ये जहां रे जिस किसी ने यहाँ रे साथ पाया तेरा हे देवा श्री गणेशा देवा श्री गणेशा, देवा श्री गणेशा देवा श्री गणेशा
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