जब जब भी पुकारू माँ तुम दौड़ी चली आना

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जब जब भी पुकारू माँ, तुम दौड़ी चली आना, एक पल भी नहीं रुकना, मेरा मान बड़ा जाना।। इस दुनियां वालो ने, माँ बहुत सताया है, जब आंसू बहे मेरे, तुम पौंछने आ जाना, जब जब भी पुकारू मां, तुम दौड़ी चली आना।। नवरात्री महीने में माँ कन्या जिमाउंगी, जब हलवा बने मैया, तुम भोग लगा जाना, जब जब भी पुकारू मां, तुम दौड़ी चली आना।। सावन के महीने में, झूला लगाउंगी, जब झूला पड़े मैया, तुम झूलने आ जाना, जब जब भी पुकारू मां, तुम दौड़ी चली आना।। मैं बेटी तेरी हूँ, तू भूल ये मत जाना, जब अंत समय आये, मुझे दर्श दिखा जाना, जब जब भी पुकारू मां, तुम दौड़ी चली आना।। मैं रह ना सकुंगी माँ, तुम छोड़ के मत जाना, जब प्राण उड़े मेरे, मुझे गोद उठा लेना, जब जब भी पुकारू मां, तुम दौड़ी चली आना।। जब जब भी पुकारू माँ, तुम दौड़ी चली आना, एक पल भी नहीं रुकना, मेरा मान बड़ा जाना।।


ये पंक्तियाँ माँ के प्रति श्रद्धा और भक्ति को दर्शाती हैं, विशेष रूप से माँ दुर्गा, काली, लक्ष्मी या संतानों के प्रति ममता रखने वाली हर माँ के लिए भावनात्मक रूप से जुड़ी हुई हैं।
भावार्थ
  • यह एक भक्ति गीत या भजन की पंक्तियाँ हो सकती हैं, जिनमें भक्त माँ से अपनी प्रार्थना कर रहा है कि जब भी वह संकट में हो, माँ तुरंत सहायता के लिए आ जाएँ।
  • "दौड़ी चली आना" का अर्थ है कि माँ की करुणा और प्रेम असीम है, और वह अपने भक्तों को कभी अकेला नहीं छोड़तीं।
  • इस भजन में माँ की दयालुता, करुणा और भक्ति से जुड़े चमत्कारों की महिमा गाई जाती है।

डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।

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