जब जब भी पुकारू माँ,
तुम दौड़ी चली आना,
एक पल भी नहीं रुकना,
मेरा मान बड़ा जाना।।
इस दुनियां वालो ने,
माँ बहुत सताया है,
जब आंसू बहे मेरे,
तुम पौंछने आ जाना,
जब जब भी पुकारू मां,
तुम दौड़ी चली आना।।
नवरात्री महीने में
माँ कन्या जिमाउंगी,
जब हलवा बने मैया,
तुम भोग लगा जाना,
जब जब भी पुकारू मां,
तुम दौड़ी चली आना।।
सावन के महीने में,
झूला लगाउंगी,
जब झूला पड़े मैया,
तुम झूलने आ जाना,
जब जब भी पुकारू मां,
तुम दौड़ी चली आना।।
मैं बेटी तेरी हूँ,
तू भूल ये मत जाना,
जब अंत समय आये,
मुझे दर्श दिखा जाना,
जब जब भी पुकारू मां,
तुम दौड़ी चली आना।।
मैं रह ना सकुंगी माँ,
तुम छोड़ के मत जाना,
जब प्राण उड़े मेरे,
मुझे गोद उठा लेना,
जब जब भी पुकारू मां,
तुम दौड़ी चली आना।।
जब जब भी पुकारू माँ,
तुम दौड़ी चली आना,
एक पल भी नहीं रुकना,
मेरा मान बड़ा जाना।।
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