श्रीवल्लभाचार्य द्वारा रचित | अधरम मधुरं लिरिक्स

श्रीवल्लभाचार्य द्वारा रचित | अधरम मधुरं लिरिक्स
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"अधरं मधुरं" श्रीवल्लभाचार्य द्वारा रचित मधुराष्टकम् का एक अंश है। मधुराष्टकम् भगवान कृष्ण की मधुरता का गुणगान करने वाला एक प्रसिद्ध स्तोत्र है। इस मधुराष्टकम् का पाठ करने से भक्तों को भगवान श्रीकृष्ण की मधुरता और उनके प्रेम का अनुभव होता है। यह स्तोत्र भगवान की भक्ति और उनके प्रति प्रेम को प्रकट करता है। इसमें भगवान के हर अंग और उनके हर कार्य को मधुर बताया गया है। यहां "मधुराष्टकम्" का पाठ दिया गया है:

अधरं मधुरं वदनं मधुरं नयनं मधुरं हसितं मधुरम्। हृदयं मधुरं गमनं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥ वचनं मधुरं चरितं मधुरं वसनं मधुरं वलितं मधुरम्। चलितं मधुरं भ्रमितं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥ वेणुर्मधुरो रेणुर्मधुरः पाणिर्मधुरः पादौ मधुरौ। नृत्यं मधुरं सख्यं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥ गीतं मधुरं पीतं मधुरं भुक्तं मधुरं सुप्तं मधुरम्। रूपं मधुरं तिलकं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥ करणं मधुरं तरणं मधुरं हरणं मधुरं रमणं मधुरम्। वमितं मधुरं शमितं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥ गुंजा मधुरा माला मधुरा यमुना मधुरा वीचीः मधुराः। सलिलं मधुरं कमलं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥ गोपि मधुरा लीला मधुरा युक्तं मधुरं मुक्तं मधुरम्। दृश्टं मधुरं शिष्टं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥ गोपो मधुरो गाओ मधुराः यष्टिर्मधुरा सृष्टिर्मधुरा। दलितं मधुरं फलितं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥ अधरं मधुरं वदनं मधुरं नयनं मधुरं हसितं मधुरम्। हृदयं मधुरं गमनं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥

डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।

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